इंद्र जिमि जंभ पर, बाढव सुअंभ पर,
रावन सदंभ पर,रघुकुलराज है !
पौन बारिबाह पर, संभु रतिनाह पर,
ज्यों सहसबाह पर, राम द्विजराज है !
दावा द्रुमदंड पर, चीता मृगझुंड पर,
भूषन वितुंड पर, जैसे मृगराज है !
तेज तम अंस पर, कान्ह जिमि कंस पर,
त्यों मलिच्छ बंस पर, सेर सिवराज है !
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